पूज्य शदाणी दरबार में भारतीय संस्कृति,सभ्यता और संस्कारों पर समर कैंप
रायपुर। माना रायपुर स्थित पूज्य शदाणी दरबार तीर्थ में पूज्य संत युधिष्ठिर लाल महाराज जी के नेतृत्व में सनातन संस्कृति और सभ्यता और संस्कारों पर आयोजित समर कैंप में बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए सीए अमित चिमनानी ने कहा सनातन यानि सदा बना रहने वाला ,जिसका कोई अंत नहीं ,जो कभी खत्म नहीं होगा।
इसमें गुरु शिष्य परंपरा का बड़ा महत्व है वसुधैव कुटुंबकम् यानी सारे संसार को हम परिवार मानते है।
सर्वेभवन्तु सुखीना यानी सब के मंगल की कामना हमे हमारी संस्कृति सिखाती है। भारत की संस्कृति,सभ्यता और संस्कार एक ऐसा विषय है जो अनंत है,असमिति है।भारत की संस्कृति को समझना है तो पहले भारत को समझना होगा।
श्री अमित ने अटल जी की पंक्तियों को दोहराते हुए कहा भारत कोई भूमि का टुकड़ा नहीं,यह जीता जागता राष्ट्रपुरुष है ये वंदन कि धरती है,ये अभिनंदन कि धरती है ये अर्पण की भूमि है तर्पण की भूमि है। इसकी नदी नदी गंगा है कंकड़, कंकर शंकर है।भारत वो भूमि है जिसमें ईश्वर ने अवतार लिया ,भगवान राम ,भगवान कृष्ण इस भारत की भूमि पर आए है।
अमित ने कहा संस्कार सीखने है तो प्रभु श्री राम से बेहतर कौन है। श्री राम के जीवन के कुछ संदर्भों से हम सीखे।
श्री राम को जब उनके पिता के आदेश से वनवास मिला तब लक्ष्मण जी बड़े क्रोधित हुए, कहा पूरी अयोध्या की जनता आपके साथ है सैनिक आपके साथ है हम विद्रोह कर देंगे आप राजा बनिए। यह सत्य था कि शक्ति श्री राम के साथ थी। श्री राम ने कहा मै अगर अपने पिता के वचन को झूठा करता हूं तो हमारे पूरे सूर्यवंश और अयोध्या की कीर्ति का नाश हो जाएगा ,ऐसा राजपाठ किस काम का जो हमारे कुल का ही गौरव समाप्त कर दे। इससे हम सीखे माता पिता की आज्ञा सर्वोपरि है। आप क्या सोचते है आपके दोस्त क्या सोचते है ये मायने नहीं रखता। पिता के वचन निभाने और उनकी कीर्ति को बनाए रखने बड़े से बड़े त्याग करने पड़े तो एक पल का संकोच न करे।
अमित ने कहा जब श्री राम जब वन गए तो वन देवी ने कहा प्रभु मै आपकी क्या सेवा करूं,तो श्री राम ने कहा जिस रास्ते से मै आया हूं उसके काटे हटा देना।वन देवी ने पूछा प्रभु अब तो आप आ गए है अब काटे हटाने से क्या फायदा ?प्रभु श्री राम ने कहा मैं तो आ गया हूं पर मुझे ढूंढता हुआ मेरा भाई भरत भी इसी रास्ते से आएगा उसे काटा न चुभे। वन देवी ने कहा ठीक है प्रभु मै हटा दूंगी परंतु ,क्या भरत इतना कमजोर है जो काटो का दर्द बर्दाश्त कर पाए।प्रभु श्री राम ने कहा नहीं वो तो इतना ताकतवर है कि जिस से टकरा जाए तो वस्तु टूट जाएगी लेकिन अगर उसे एक भी काटा चुभा तो वो ये सोचकर दुखी होगा कि मेरे कारण मेरे भैया को इन काटो पर चलना पड़ा है।
इससे एक भाई का दूसरे भाई से प्यार उसके प्रति चिंता के संस्कार को सीखा जा सकता है। हम सबको अपने भाई बहनों से भी ऐसे प्यार करना चाहिए उनकी चिंता करनी चाहिए।
अमित ने आगे एक प्रसंग बताते हुए कहा भरत जी के साथ सभी माताएं,गुरु,उनके ससुर सभी लोग श्री राम जी को वापिस लेने गए सबका मत था कि वो वापिस चले,पर वो वापिस नहीं गए। सब के कहने से बात सही नहीं होती,नीति नीति होती है ध्यान रखना जो सही वो सही है वहीं करना।
सब दोस्त बोल रहे है ऐसा सोचकर कभी कोई गलत काम मत कर लेना। रामायण के अन्य प्रसंग बताते हुए कहा कि श्री राम वन चले गए ।
भरत जी की पत्नी मांडवी महल में बैठी थी अचानक मां कौशल्या आई और कहा तुम जाओ अपने कक्ष में भरत तुम्हारा इंतजार कर रहा होगा उन्होंने कहा वो तो यहां है ही नहीं उन्होंने कहा भैया जब महल में नहीं तो मैं भी महल में नहीं रहूंगा जमीन पर सोऊंगा इसीलिए वह अयोध्या के बाहर नंदीग्राम है वहां कुटिया बनाकर रहते है नीचे सोते है तो कौशल्या माता ने कहा तू भी उसके पास चली जा तो उन्होंने कहा उनके पति ने मना किया है चूंकि सीता माता महल में नहीं है श्री राम के साथ वन में है महल में माताएं है उनकी सेवा के लिए मुझे यहां रहने का आदेश है। इससे यह समझे कि भारत की संस्कृति संयुक्त परिवार की है और इसमें सब निजी हित नहीं परिवार का हित देखते है।
कैसे बोले यानी कि पब्लिक स्पीकिंग पर बोलते हुए अमित ने कहा की अच्छा बोलने के लिए हमेशा हमारे पास अच्छा कंटेंट होना चाहिए ।कई बार हम बिना कंटेंट के स्पीच देने लगते हैं जो की बहुत प्रभावहीन हो जाती है और व कई बार हम डायरेक्शन से भी भटक जाते है। इसीलिए जिस टॉपिक पर आपको बोलना है उसकी गहन जानकारी आपके पास होनी चाहिए, बच्चों से पब्लिक स्पीकिंग में क्या तकलीफ होती है यह पूछने पर बच्चों ने लोग क्या सोचेंगे या गलती हो गई तो क्या कहेंगे ,ऐसे डर बताएं जिस पर अमित ने कहा की पब्लिक स्पीकिंग में आपको किसी से सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं होती। लोग क्या कहेंगे यह सोचेंगे तो आप नहीं कह पाएंगे इसीलिए हमेशा लोग क्या कहेंगे इसका भय छोड़ देना चाहिए।
इस दौरान पूज्य शदाणी दरबार के पीठाधीश पूज्य संत युधिष्ठिर लाल महाराज,उदय शदाणी सिंधी काउंसिल के अध्यक्ष ललित जयसिंह ,कार्यक्रम के संयोजक बंटी गांवडा,रेशमा शर्मा,शालू शदाणी,सरस्वती बत्रा,किरण कुकरेजा, निकिता पंजवानी व सैकड़ों प्रतिभागी मौजूद रहे।