रायपुर। आईपीएस जीपी सिंह को कैट ने बड़ी राहत दी है। कैट ने चार हफ़्तों के भीतर जीपी सिंह से जुड़े सभी मामलों को निराकृत कर बहाल किए जाने का आदेश दिया है। जीपी सिंह 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्हें राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते साल जुलाई महीने में अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।
आखिरकार आईपीएस जीपी सिंह को केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण(कैट) ने राहत दे दी। कैट ने आईपीएस जीपी सिंह के बहाली आदेश जारी करने के साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया है कि उनसे संबंधित सारे मामलों का निराकरण चार सप्ताह के भीतर कर दिया जाए। कैट के प्रधान बेंच के चेयरमैन जस्टिस रंजीत मोरे और सदस्य जस्टिस आनंद माथुर ने पूरे मामले को सुनने के बाद जीपी सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया।
पिछली कांग्रेस सरकार में वर्ष 2021 में जीपी सिंह के घर पर ईओडब्ल्यू और एसीबी ने रेड मारी थी। इसके बाद उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करने के अलावा राजद्रोह का केस भी दर्ज किया था। इसके तुरंत बाद दुर्ग में उनके खिलाफ ब्लैकमेलिंग का केस भी दर्ज किया गया था। राज्य सरकार ने जीपी सिंह के खिलाफ केंद्र को अनिवार्य सेवा निवृत्ति देने का प्रस्ताव भी भेजा था। जिस पर केंद्र सरकार ने मुहर भी लगा दी थी। इसके बाद जीपी सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देकर बर्खास्त कर दिया गया था। तब से जीपी सिंह कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। वे हर स्तर पर अपना पक्ष मजबूती के साथ रख रहे थे। इसके बाद कैट ने आज जीपी सिंह के पक्ष में अपना फैसला सुनाते हुए एक प्रकार से उन्हें तमाम आरोपी से बरी कर दिया।जीपी सिंह के अधिवक्ताओं ने कैट के समक्ष सारे षडयंत्र से संबंधित साक्ष्य भी पेश किए।छत्तीसगढ़ ही नही पूरे देश में यह पहला मामला होगा जिसमे किसी आईपीएस अधिकारी ने इतनी मुसीबते झेलने के बाद कानूनी लड़ाई का सहारा लेते हुए जीत दर्ज की है।
दो महीने में 25 साल की सर्विस पर सरकार ने लगाया दाग
आईपीएस जीपी सिंह की गिनती छत्तीसगढ़ में काबिल अफसर के रूप में होती रही है। उन्हें उत्कृष्ट सेवा के लिए मेरीटोरियस मेडल और बहादुरी के लिए राष्ट्रपति का गैलंट्री मेडल भी मिला है। इसके अलावा कई बड़े मामलों को सुलझाने में उनकी भूमिका रही है। चाहे वह आतंकवादी संगठन सिमी से संबंधित मामले हो या इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकियों को पकड़ने से संबंधित मामले हो। इन मामलों में तमाम आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा भी हो चुकी है। यहां तक की कांग्रेस सरकार बनने के बाद ही जीपी सिंह एडीजी के पद पर पदोन्नत हुए थे। जीपी सिंह के 25 वर्ष के सेवाकाल में उनके सर्विस रिकार्ड में एक से बढ़कर एक उपलब्धि रही है। लेकिन तत्कालीन भूपेश सरकार ने 2 महीने में ही उनके रिकॉर्ड को बर्बाद कर दिया। इसके पीछे वजह यह रही कि जैसे ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश सरकार आई। तो उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और कुछ नेताओं पर गलत तरीके से कार्रवाई करने के आदेश दिए गए। जिसे करने से जीपी सिंह ने मना कर दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने उनसे दुश्मनी भुनानी शुरू कर दी। जीपी सिंह को कई महीने जेल में भी बिताने पड़े। इस दरमियान उनके परिवार को भी कई त्रासदियों का सामना करना पड़ा। लेकिन अब कैट के बहाली आदेश होने के बाद एसीबी और तत्कालीन कांग्रेस सरकार के षडयंत्र का खुलासा हो गया है।
जीपी सिंह के खिलाफ ये मामले थे दर्ज
जीपी सिंह के खिलाफ तत्कालीन भूपेश सरकार में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। इसके अलावा कोतवाली थाने में राजद्रोह का केस भी दर्ज कराया गया था । वहीं दुर्ग में एक हिस्ट्रीशीटर कमल सेन ने उनके खिलाफ ब्लैकमेलिंग का केस दर्ज कराया था। कमल सेन वही व्यक्ति है जिसके खिलाफ पश्चिम बंगाल के हुगली के हरपाल थाने तथा महासमुंद के कोतवाली थाने में धोखाधड़ी फर्जरी जैसी गंभीर धाराओं में अपराध पंजीबद्ध है। इन सभी मामलों को भी जीपी सिंह ने कैट के समक्ष सिलसिलेवार तरीके से रखा। कैट ने तमाम बिंदुओं का गहराई से अध्ययन किया और इसके बाद कैट की मुख्य प्रधान बेंच के जज ने अपना फैसला सुनाया।
जीपी सिंह को फंसाने के लिए हर स्तर पर की गई थी कोशिश
तत्कालीन ईओडब्ल्यू एसीबी चीफ आरिफ शेख ने जीपी सिंह को फंसाने के लिए हर स्तर पर कोशिश की थी। उन्होंने राजधानी के रहवासी खलील अहमद के घर से 2 लाख 80 हजार रुपए भी लूट लिए थे। इसकी शिकायत खलील अहमद ने कोतवाली थाने मे की थी। यह शिकायत आज भी लंबित है। इसके अलावा आरिफ शेख के खिलाफ कांकेर के हेड कांस्टेबल विजय पांडे ने भी गृहमंत्री,मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव गृह से लिखित शिकायत किया है की उन पर जीपी सिंह को फंसाने के लिए दबाव डाला गया था। इस मामले में विजय पांडे ने आरिफ शेख के अलावा पुलिस अधिकारी सत्यप्रकाश तिवारी,मोहसिन खान और चंद्रभूषण वर्मा को भी आरोपी बताया है।
पिता को भी फंसाने की हुई थी कोशिश
जीपी सिंह ने कोर्ट और कैट में यह भी बताया है कि आरिफ शेख ने किस प्रकार से उन पर शिकंजा कसने के लिए फैब्रिकेटेड मामले दर्ज कराए। यहां तक कि उनके पिता को फसाने के लिए उड़ीसा के एक फर्म को भी धमकी दिया कि जो कंपनी चल रही है। उसमें यह बताएं कि यह कंपनी जीपी सिंह के पैसे से चल रही है। लेकिन आरिफ इसमें भी कामयाब नही हुए।